Rekha mishra

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लेखनी प्रतियोगिता -05-Jan-2022

               वो यादें                                                  खूबसूरत तो हम बचपन में थे।
अब तो बस मेकअप सम्भाल लेता है। 
यूँ ही नहीं काजल भर भर कर 
लगाती थी हमारी माँ। 
बचपन जीवन का बहुत ही महत्वपूर्ण समय होता है. बचपन में इतनी चंचलता और मिठास भरी होती है कि हर कोई फिर से बचपन को जीना चाहता है. बचपन में वह धीरे-धीरे चलना, गिर पड़ना और फिर से उठकर दौड़ लगाना बहुत याद आता है.बचपन में पिताजी के कंधे पर बैठकर मेला देखने का जो मजा होता था वह अब नहीं आता है. बचपन में मिट्टी में खेलना और मिट्टी से छोटे-छोटे खिलौने बनाना किसकी यादों में नहीं बसा है.बचपन में किसी के बाग में जाकर फल और बैर तोड़ जाते थे तब वहां का माली पीछे भागता था वह दिन किसको याद नहीं आते. शायद इसीलिए बचपन जीवन का सबसे अनमोल पल है.बचपन में हम सब सुबह शाम सिर्फ मस्ती ही करते थे. बचपन में पूरा घर हंसी ठिठोली से गूंजता रहता था. बचपन का हर दिन उत्सव होता था. बच्चों को देख कर बचपन की बहुत सी यादें अब भी ताजा हो जाती है. अभी तेज दौड़ लगाने का मन करता है झूला झूलना मुझे और मेरी छोटी बहन को बहुत पसंद था इसलिए हम सुबह उठते हैं जिले की सड़क पर नहीं दौड़ते थे हम दोनों में इस कारण बहुत नोक-झोंक भी होती थी लेकिन माँ आकर सब कुछ ठीक कर देती थी.बचपन में मैं और मेरे दोस्त गर्मियों की छुट्टियों में बागों में बैर तोड़ने चले जाते थे खट्टे मीठे बेर हमें बहुत पसंद थे जिस कारण हम अपने आप को रोक नहीं पाते थे बागों के माली लकड़ी लेकर हमें मारने को दौड़ते लेकिन हम तेजी से दौड़ कर घर में छुप जाते थे.हम में अधिकतर अपने बचपन में पापा द्वारा साइकल पर घुमाया जाना कभी नहीं भूल सकते। जैसे ही पापा ऑफिस जाने के लिए निकलते हैं, तब हम भी पापा के साथ जाने को मचल उठते हैं, तब पापा भी लाड़ में आकर अपने लाड़ले-लाड़लियों को साइकल पर घुमा देते थे। आज बाइक व कार के जमाने में वो 'साइकल वाली' यादों का झरोखा अब खो सा गया है छोटे बच्चों में भी साईकिल को लेकर पहले सा रुझान नहीं दिखता।                               (मेरे बचपन तुम बहुत याद आते हो।                                 थोड़े ही पलों के लिए पर चेहरे पर ,                               मुस्कराहट बिखेर जाते हो)                                       बचपन  में की गई गलतियां, नादानियां व शैतानियां बड़े होने पर जब याद आती हैं तो व्यक्ति सोचता है कि हां, हमने बचपन में ये-ये गलतियां की थीं व अब इसे नहीं दोहराएंगे? लेकिन अब कब? बचपन तो अब बीत जो चुका है! सुधार व परिमार्जन करने की उम्र की दहलीज पर हम खड़े हैं। अब वो जो बचपन बीत चुका है, वह अगले जन्म के पहले नहीं आने वाला! हां, उसकी सुखद-मधुर यादें आपके दिल-ओ-जेहन में मृत्युपर्यंत तक बनी रहेंगी। नहीं जाने वाली हैं वे मधुर यादें। 

By- Rekha mishra 

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6 Comments

Seema Priyadarshini sahay

07-Jan-2022 11:06 PM

👌👌

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Shrishti pandey

06-Jan-2022 10:15 AM

Very nice

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Rekha mishra

06-Jan-2022 12:26 AM

Thanks to all

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